जीएसटी (GST) को बनायें फ़ायदे का सौदा 

Date : 18.August.2017

कल यूँ ही ऑफिस के कॉरिडोर से गुज़रते हुए तीन लोगों को जीएसटी (GST) के बारे में बात करते हुए सुना. उनमे से दो छोटे व्यापारी थे जिनका अपना जनरल स्टोर व गाड़ियों की पार्ट्स का व्यापार था व तीसरा हमारे ऑफिस का क्रेडिट मेनेजर था, जो पूरी लगन के साथ उन दोनों को जीएसटी में रजिस्ट्रेशन कराने तथा प्रेस्टलोन्स से लोन लेने के फ़ायदे समझा रहा था. अधिक जानने पर पता चला कि उन्हें प्रेस्टलोन्स से लोन लेने के फायदे तो समझ आ रहे थे लेकिन हाल ही में सरकार द्वारा लागू किये गए ‘गुड्स एंड सर्विस टैक्स’ (GST) को लेकर उनके मन में कई सवाल व उलझनें थी जिन्हें हमारा क्रेडिट मैनजेर सुलझाने में लगा हुआ था. 

जीएसटी (GST) यानि ‘गुड्स एंड सर्विस टैक्स’, जिसे भारत सरकार द्वारा एक बहुत बड़े कर सुधार के रूप में 1 जुलाई 2017 से लागू किया जा चुका है. यह एक ऐसा एकीकृत टैक्स है जो वस्तुओं और सेवाओं दोनों पर लगता है. अर्थात अब एक्साइज ड्यूटी, सेवा कर, वैट, मनोरंजन कर आदि की जगह पर सिर्फ एक टैक्स हैं, वस्तु एवं सेवा कर (GST). इसको लेकर लोगों में जितनी दिलचस्पी है उतनी ही भ्रांतियां भी है. ख़ासकर व्यापारी वर्ग के मन में इसको लेकर कई तरह के सवाल जन्म ले रहें हैं, जैसे, जीएसटी का क्या मतलब है? इसका व्यापार पर क्या असर होगा? या फ़िर अभी तक चले आ रहे बाकी टैक्सेज से यह कितना अलग है? उनके मन में चल रहे इन्हीं सवालों की वजह से जीएसटी के प्रति व्यापारियों में रोष व्याप्त हो गया है और वह इसके खिलाफ़ विरोध पर उतर आये है.

बात करें पहले लगाये जाने वाले बाकि टैक्सेज जैसे- एक्साइज ड्यूटी, सेवा कर, वैट आदि की तो इसके बारे में भी व्यापरियों को गहरी जानकारी नहीं थी, चूंकि यह टैक्स लम्बे समय से चले रहे थे इसीलिए कहीं न कहीं इसको उन्होंने अपनी आदत में शामिल कर लिया था. यही वजह है की जीएसटी को वह स्वीकार नहीं कर पा रहें हैं, जिसके परिणाम स्वरुप नुकसान उन्हीं को उठाना पड़ रहा, इससे अच्छा यही है की सरकार द्वारा लागू किये इस टैक्स को वह सहर्षता के साथ स्वीकार करें व इसको समझने की सकारात्मक कोशिश करें. 

यहाँ समझने वाली बात यह है कि सरकार ने व्यापारियों के हितों को ध्यान में रखते हुए और नए सिस्टम को अच्छे से समझने के लिए सभी व्यापारियों को पहले 2 महीने में जीएसटी रिटर्न फाइल करने से छूट दे रखी है. इसके अलावा किसी भी व्यापार को शुरू करने से पहले जहाँ व्यापारी को एक्साइज ड्यूटी, सेवा कर, वैट आदि अलग-अलग रजिस्ट्रेशन कराने पड़ते थे वही सरकार ने इससे राहत प्रदान करते हुए अब सिर्फ एक रजिस्ट्रेशन ही अनिवार्य किया है और वो है जीएसटी. साथ ही सरकार ने जीएसटी से सम्बंधित किसी भी समस्या के समाधान के लिए जगह-जगह जीएसटी सेवा केंद्र खोल रखे हैं. व्यापारी इनके कॉल सेंटर में फ़ोन करके या ख़ुद केन्द्रों पर जाकर अपने सवालों का जवाब प्राप्त कर सकते हैं. 

व्यापारी वर्ग के लिए यह जानना बहुत ज़रूरी है कि जीएसटी के तहत सरकार ने कारोबारियों की कुछ श्रेणियां बनायीं है जिनके अंतर्गत ऐसे छोटे व्यापारियों को शामिल किया गया है, जिनका सालाना टर्न ओवर या तो 20 लाख तक है या फिर 20 से 75 लाख तक है. जहां तक 20 लाख से नीचे के दुकानदारों की बात है तो बता दें कि उनके ऊपर जीएसटी टैक्स का कोईफर्क नहीं पड़ा है,पहले भी वो टैक्स नहींदेते थे और अब भी वह जीएसटी की छूट वाली श्रेणी में ही आते है. ऐसे में 20 लाख तक सालाना टर्नओवरवाले कारोबारियों पर जीएसटी का कोई असर नहीं पड़ा है.

वहीँ 20 से 75 लाख तक सालाना टर्नओवर वाले व्यापारियों को पहले सामान बेचने पर वैट और कई दूसरे टैक्स देने पड़ते थे, अब जीएसटी में रजिस्ट्रेशन कराने के बाद ये ग्राहकों से जीएसटी चार्ज कर पाएंगे और इनपुट क्रेडिट भी ले पाएंगे या सरकार की कंपोजिट स्कीम लेकर उन्हें सालानाटर्नओवर का सिर्फ 0.5 फीसदी टैक्स देना पड़ेगा, यानि 75 लाख के टर्नओवर पर सालाना 37500 रूपए टैक्स देना होगा. एक तरीके से देखें तो कोई ख़ास बदलाव नहीं हुआ है. जहाँ तक बात रही रिटर्न फ़ाइल करने की या फिर टैक्स भरने की तो पहले से ही यह काम व्यापारियों के चार्टेड अकाउंटेंट या फिर कंसलटेंट करते आ रहे थे जो कि अभी भी जारी है. ऐसे में व्यापारी वर्ग को यह  ज़िम्मेदारी उन्हीं पर छोड़ देनी चहिये. क्यूंकि इसके खिलाफ़ हड़ताल या दुकानें बंद करके उनका ही नुकसान हो रहा है.

प्रेस्टलोन्स (PrestLoans) जैसी NBFC कंपनी का मानना है कि व्यापारी यदि जीएसटी में रजिस्ट्रेशन करा लेंगें तो यह उनकी तरफ से लिया गया एक सकारात्मक कदम होगा. यह शुरू में भले ही थोडा कष्टदायक लगता है लेकिन दीर्घकाल में इसका सबसे अधिक फायदा व्यापारी बंधुओं को ही होगा.व्यापार का सारा विवरण रिकॉर्ड में होने के कारण सस्ती दर पर आसानी से लोन ले पाएंगे क्योंकि इन व्यापारियों के प्रति प्रेस्टलोन्स जैसी NBFC कंपनी का विश्वास भी बढ़ेगा. अगर आप जीएसटी रजिस्टर्ड हैं तो माना जायेगा कि आप सही तरीके से व्यापर कर रहे हैं. सिर्फ इतना ही नहीं जीएसटी में एक रेटिंग सिस्टम भी है और मेरा ऐसा मानना है कि जीएसटी की रेटिंग के हिसाब से ही बैंक और NBFC व्यापारियों की रेटिंग करेंगे और उन्हें उसी तरीके से लोन भी देंगे जैसे ई- कॉमर्स में भी रिव्यू और रेटिंग सिस्टम से छोटे व्यापारियों को लोन मिला है इसीलिए व्यापारी वर्ग को यह टैक्स एक अवसर की तरह लेना चाहिए व ‘गुड्स एंड सर्विस टैक्स’ (GST) में जल्द से जल्द रजिस्ट्रेशन करवाना चाहिए.